पक्ष या पखवाड़ा आमतौर पर 15 दिनों की अवधि को कहा जाता है, लेकिन भारतीय पंचांग के अनुसार इसे चंद्रमा के कलाचक्र पर आधारित समय से परिभाषित किया जाता है।
अमावस्या से पूर्णिमा या पूर्णिमा से अमावस्या तक चंद्रमा की स्थिति के अनुसार समय को पक्ष कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है: शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
पक्ष में सामान्यतः 15 दिन होते हैं, लेकिन तिथि की वृद्धि या क्षय के कारण 14 या 16 दिन भी हो सकते हैं।
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष:
आजकल के कैलेंडर में हर साल 12 महीने होते हैं जो सूर्य के आधार पर होते हैं। लेकिन भारत में प्राचीन काल से चंद्रसौर कैलेंडर का उपयोग किया जाता है जो चंद्रमा और सूर्य दोनों पर आधारित है।
एक चंद्र मास 29.53 दिनों का होता है, जो चंद्रमा के एक चक्कर पूरा करने का समय है। अमावस्या से अमावस्या का समय एक चंद्र मास कहलाता है, जिसमें चंद्रमा की कलाएं घटती-बढ़ती हैं।
कृष्ण पक्ष:
कृष्ण पक्ष वह अवधि होती है जब पूर्णिमा के बाद चंद्रमा की कलाएं घटती हैं और यह अमावस्या तक चलता है।
इस दौरान चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे कम होता जाता है। इसे शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है क्योंकि इसमें अंधकार बढ़ता है।
संस्कृत में 'कृष्ण' का अर्थ काला होता है, इसलिए इस पक्ष को अंधकार का प्रतीक माना जाता है।
शुक्ल पक्ष:
शुक्ल पक्ष अमावस्या के बाद चंद्रमा के बढ़ते आकार से शुरू होता है और पूर्णिमा तक चलता है।
इसमें चंद्रमा का प्रकाश बढ़ता है और इसे शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। संस्कृत में 'शुक्ल' का अर्थ सफेद या चमकदार होता है, इसलिए इसे शुभ और प्रकाशमय समय माना जाता है।