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Showing posts from October, 2024

समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों का रहस्य

यह वह समय था जबकि देवता लोग धरती पर रहते थे। धरती पर वे हिमालय के उत्तर में रहते थे। काम था धरती का निर्माण करना। धरती को रहने लायक बनाना और धरती पर मानव सहित अन्य आबादी का विस्तार करना।  देवताओं के साथ उनके ही भाई बंधु दैत्य भी रहते थे। तब यह धरती एक द्वीप की ही थी अर्थात धरती का एक ही हिस्सा जल से बाहर निकला हुआ था। यह भी बहुत छोटा-सा हिस्सा था। इसके बीचोबीच था मेरू पर्वत। धरती के विस्तार और इस पर विविध प्रकार के जीवन निर्माण के लिए देवताओं के भी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने लीला रची और उन्होंने देव तथा उनके भाई असुरों की शक्ति का उपयोग कर समुद्र मंथन कराया। समुद्र मंथन कराने के लिए पहले कारण निर्मित किया गया।  दुर्वासा ऋषि ने अपना अपमान होने के कारण देवराज इन्द्र को ‘श्री’ (लक्ष्मी) से हीन हो जाने का शाप दे दिया। भगवान विष्णु ने इंद्र को शाप मुक्ति के लिए असुरों के साथ 'समुद्र मंथन' के लिए कहा और दैत्यों को अमृत का लालच दिया। इस तरह हुआ समुद्र मंथन। यह समुद्र था क्षीर  सागर जब देवताओं तथा असुरों ने समुद्र मंथन आरंभ किया, तब भगवान विष्णु ने कच्छप बनकर मंथन में भाग ल...

Waaree Energies Shares to Debut on October 28

Waaree Energies Shares to Debut on October 28 One big reason for investor interest in Waaree Energies' IPO is the incredible performance of its listed subsidiary, Waaree Renewable Technologies Ltd. This stock has gained over 59,000% in the past five years. Waaree Energies IPO Waaree Energies' IPO recently closed after a strong response, with the offering oversubscribed 76.34 times in three days. It received a record 9.7 million applications, the most for any book-building issue to date. Subsidiary Performance and Business Model Waaree Renewable Technologies, listed on the BSE SME platform since 2012, has seen its stock rise by over 52,470% since its debut. Its recent high returns make it attractive to investors, although it has had some recent declines. This company focuses on solar projects, offering services in financing, construction, and operating solar solutions for residential, industrial, and commercial clients, both on-site and through large off-site farms. Financials I...

गोत्र क्या है

भारतीय परम्परा के अनुसार विश्वामित्र, जमदग्रि, वसिष्ठ और कश्यप की सन्तान गोत्र कही गई है- "गौतम, भरद्वाज, अत्रि,विश्वामित्रो जमदग्निर्भरद्वाजोऽथ गोतमः । अत्रिर्वसिष्ठः कश्यप इत्येते गोत्रकारकाः" इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि किसी परिवार का जो आदि प्रवर्तक था, जिस महापुरुष से परिवार चला उसका नाम परिवार का गोत्र बन गया और उस परिवार के जो स्त्री-पुरुष थे वे आपस में भाई-बहिन माने गये, क्योंकि भाई बहिन की शादी अनुचित प्रतीत होती है, इसलिए एक गोत्र के लड़के-लड़कियों का परस्पर विवाह वर्जित माना गया। ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र आदि वर्ण कुलस्थ के लोगों के लिए गोत्र व्योरा रखना इसी लिए भी आवश्यक है। क्योंकि गोत्र ज्ञान होने से उसके अध्ययन की परम्परा में उसकी शाखा-प्रशाखा का ज्ञान होने से तत सम्बन्धी वेद का पठन―पाठन पहले करवाया जाता है पश्चात अन्य शाखाओं का! किन्तु आज हिंदुओं में गोत्र को स्मरण रखने की परंपरा का त्याग करने से गोत्र संकरता बढ़ रही है। और सगोत्र विवाह आदि होना आरम्भ हो गया है।  इसी लिए आज सुबह मैंने यह प्रश्न रखा था कि घरवापसी वालो का या अज्ञात गोत्र धारियों का गोत्र ...

भाग्य नहीं दे रहा आपका साथ तो करें ये उपाय

  जगत में अन्यथा ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो नहीं चाहता होगा कि उसका भाग्य उज्जवल हो और वह सफलताएँ प्राप्त करे अपने भाग्य को उज्ज्वल के लिए हर इंसान बहुत मेहनत करता हैं, किंतु कुछ ही की मेहनत रंग लाती हैं सोने से पहले पीतल के बर्तन में पानी भरकर उसे अपने सिरहाने रखें। सुबह इसी पानी को पेड़ में डालने से भाग्य अमंगल टलने लगते है सुबह जब घर में भोजन बने तो सबसे पहलेवाली रोटी अन्य रोटियों से थोड़ी बड़ी बनायें और इसे अलग निकाल लें। इस रोटी के चार बराबर टुकड़े कर लें और इन चारों पर कुछ मीठा जैसे झ खीर, गुड़ या शक्कर रख दें। सबसे पहले एक टुकड़ा गाय को खिला दें, दुसरा टुकड़ा कुत्ते को खिला दें, तीसरे भाग को कौओं को खिला दें, अब रोटी का अंतिम टुकड़ा एवं कुछ अन्न घर पर आये किसी भिक्षु को दे दें। यह छोटा-सा उपाय रोज करने से आपको सुख मिलेगा और आपका भाग्य कुछ ही दिनों में उज्ज्वल होगा किसी भी तालाब, झील या नदी में मछलियों को नित्य जाकर आटे की गोलियां खिलाएं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह बहुत ही अचूक उपाय है। घर में स्थापित देवी-देवताओं को रोज ताजे फूलों से श्रृंगारित करना चाहिए। घर म...

बच्चों के पढ़ाई में तेज होने और उनके बुद्धि-विकास के लिए मंत्र

बच्चों के पढ़ाई में तेज होने और उनके बुद्धि-विकास के लिए शास्त्रों में कई मंत्र और स्तोत्रों का वर्णन किया गया है। ये मंत्र ध्यान केंद्रित करने, चिंता दूर करने, साहस बढ़ाने, स्मरण शक्ति बढ़ाने और ज्ञान प्राप्ति में सहायक हैं। यहां 7 मुख्य मंत्र और पाठ दिए गए हैं 1. सर्वज्ञता प्राप्ति के लिए गायत्री मंत्र यह मंत्र बुद्धि को तेज करने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। 2. सरस्वती वंदना (विद्या प्राप्ति के लिए) सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते॥ 3. गणेश मंत्र (बुद्धि और स्मृति के लिए) ॐ गं गणपतये नमः। 4. "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" सरस्वती देवी को समर्पित यह मंत्र स्मरण शक्ति और बुद्धि के विकास में सहायक होता है। 5. हनुमान चालीसा (साहस और ध्यान के लिए): हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है। 6. बुद्धि-वृद्धि मंत्र ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ 7. महामृत्युंजय मंत्र (चिंता दूर करने के लिए) ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकम...

बिना पैसे खर्च किए घर के समस्त वास्तुदोष दूर करने के उपाय

  वैदिक ज्योतिष शास्त्र में वास्तुदोष तथा वास्तु संबंधी नियमों का विशेष महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में यदि वास्तु संबंधी कोई भी दोष होता है तो इसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर जरूर पड़ता है, उस घर में सुख और शांति का हमेशा अभाव बना रहता है। घर के वास्तुदोष को दूर करने के उपाय वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक का विशेष महत्व है। घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वास्तु दोष कम होता है तथा मंगल ग्रह के दोष भी समाप्त होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर को साफ सुथरा और रोशनी से भरपूर होना बहुत आवश्यक है, यदि घर में पॉजिटिव एनर्जी चाहते हैं तो घर के वायव्य कोण पर दीपक जलाकर रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में वास्तु दोष है तो घर के ईशान कोण में कलश रखना सबसे उचित माना जाता है। ध्यान रखें कि कलश कहीं से भी टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है। गणेश जी को सुख देने वाला और विघ्नों का नाश करने नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर भगाने के लिए घर में हर चीज़ को व्यवस्थित रखें।...

कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में अंतर

पक्ष या पखवाड़ा आमतौर पर 15 दिनों की अवधि को कहा जाता है, लेकिन भारतीय पंचांग के अनुसार इसे चंद्रमा के कलाचक्र पर आधारित समय से परिभाषित किया जाता है।  अमावस्या से पूर्णिमा या पूर्णिमा से अमावस्या तक चंद्रमा की स्थिति के अनुसार समय को पक्ष कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है: शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। पक्ष में सामान्यतः 15 दिन होते हैं, लेकिन तिथि की वृद्धि या क्षय के कारण 14 या 16 दिन भी हो सकते हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष: आजकल के कैलेंडर में हर साल 12 महीने होते हैं जो सूर्य के आधार पर होते हैं। लेकिन भारत में प्राचीन काल से चंद्रसौर कैलेंडर का उपयोग किया जाता है जो चंद्रमा और सूर्य दोनों पर आधारित है।  एक चंद्र मास 29.53 दिनों का होता है, जो चंद्रमा के एक चक्कर पूरा करने का समय है। अमावस्या से अमावस्या का समय एक चंद्र मास कहलाता है, जिसमें चंद्रमा की कलाएं घटती-बढ़ती हैं। कृष्ण पक्ष: कृष्ण पक्ष वह अवधि होती है जब पूर्णिमा के बाद चंद्रमा की कलाएं घटती हैं और यह अमावस्या तक चलता है।  इस दौरान चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे कम होता जाता है। इसे शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त न...

कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष: पौराणिक कथाएं

कृष्ण पक्ष की शुरुआत: एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियां थीं, जिनका विवाह चंद्रमा से हुआ।  चंद्रमा अपनी पत्नी रोहिणी से अधिक प्रेम करते थे और बाकी पत्नियों को नजरअंदाज करते थे, जिससे प्रजापति दक्ष ने उन्हें क्षय रोग का श्राप दिया। इस श्राप के कारण चंद्रमा का तेज घटने लगा और कृष्ण पक्ष की शुरुआत हुई। शुक्ल पक्ष की शुरुआत: चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधना की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर लिया।  शिवजी के प्रताप से चंद्रमा का तेज फिर से लौटने लगा और शुक्ल पक्ष की शुरुआत हुई। इस प्रकार, शुक्ल पक्ष को प्रकाश और शुभता का प्रतीक माना जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष को अंधकार और ह्रास का।

मौली मंत्र, तिलक मंत्र, पान का पत्ता, स्वस्तिक मंत्र, करवा, सुपारी, अक्षत, दूर्वा का महत्व..

1. मौली मंत्र का महत्व :- येन बध्दो बली राजा दानवेन्दो महाबलः । तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।। ‘मौली’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सबसे ऊपर’। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध है और इसे शास्त्रों के मुताबिक रक्षा सूत्र और कलावा भी कहा जाता है। मौली बांधने से तिनों देवी-देवताओं की कृपा होती है। शास्त्रों के मुताबिक मौली का रंग और उसका एक एक धागा मनुष्य को शक्ति प्रदान करता है। न केवल इसे बांधने से बल्कि मौली से बनाई गई सजावट की वस्तुओं को भी घर में रखने से लाभ होता है और सकारात्मकता आती है। 2. तिलक मंत्र महत्व :- केशवानन्नत गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम । पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।। कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् । ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।। पूजा के समय तिलक लगाने का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है। तिलक लगवाते समय सिर पर हाथ इसलिए रखते हैं ताकि सकारात्मक उर्जा हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्र हो तथा हमारे विचार सकारात्मक हों। तिलक सदैव बैठकर ही लगाना चाहिए। 3. पा...

नवरात्रि में नव दुर्गा का नव भोग जो करेगा मनोकामना पूर्ति

नवरात्र के नौ दिनों में शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता हैं।, नवरात्रे के प्रथम तीन दिन पार्वती के तीन स्वरुपों का पूजन किया जाता हैं, अगले तीन दिन माँ लक्ष्मी के स्वरुपों का पूजन किया जाता हैं। और आखिरी के तीन दिन सरस्वती माता के स्वरुपों की पूजा की जाती हैं। उसी प्रकार नौ देवीयों को क्रमशः प्रथम दिन शैलपुत्री, द्वितीय दिन ब्रह्माचारिणी, तृतीय दिन चन्द्रघण्टा, चतुर्थ दिन कुष्माण्डा, पंचम् दिन स्कन्द माता, षष्ठम् दिन कात्यायिनी, साप्तम् दिन कालरात्रि, अष्टम् दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री के रुप का पूजन किया जाता हैं। नवरात्रे के नौ दिनों तक भक्त के मन में यह कौतुहल होता हैं, कि वह माता को भोग में क्या चढ़ाये, जिससे माँ शीघ्र प्रसन्न हों जाये, हिन्दू धर्म में प्रसाद अर्पण किये बिना पूजन संपन्न नहीं होता है। नवरात्र के नौ दिन में नौ देवियों को अलग-अलग भोग लगाने का विधान धर्मशास्त्रों में वर्णित हैं। नवरात्र के प्रथम दिन देवी शैलपुत्री नवरात्र के प्रथम दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप ...

Subam Papers Ltd. IPO - Issue Date, GMP, Price, Timeline, Lot Size & Subscription Info

About Subam Papers Ltd. We are a company engaged in the manufacturing of Kraft Paper and Paper Products. We proudly call ourselves as a packaging solution providing company. Subam started its journey in the year 2004 with manufacturing of paper cones and later expanded the product base by adding Duplex board and Kraft ... paper in its portfolio. Our company is not like the traditional paper manufactures, we do not manufacture our products from wood pulp but instead we use waste paper as our raw material. We aim to preserve mother nature and tend to drive our company on the principle of recycling. Our company leverages wastepaper as the primary raw material in the production of Kraft Paper and Duplex Board. Read more Parent organisation Founded Subam Papers Ltd. 2004 Subam Papers Ltd. IPO Reservation Investors Category Shares Offered Anchor Investors 17,56,800 (28.5%) Market Makers 3,08,800 (5.01%) Non Institutional Investors 8,78,400 (14.25...