Shravan (Sawan) Somwar Vrat (fasting) & Pooja as per Lord Shiva

Veda
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भगवान शिव श्रावण के सोमवार के बारे में कहते हैं-


मत्स्वरूपो यतो वारस्ततः सोम इति स्मृतः। प्रदाता सर्वराज्यस्य श्रेष्ठश्चैव ततो हि सः। समस्तराज्यफलदो वृतकर्तुर्यतो हि सः।।

 

अर्थात सोमवार मेरा ही स्वरूप है, अतः इसे सोम कहा गया है। इसीलिये यह समस्त राज्य का प्रदाता तथा श्रेष्ठ है। व्रत करने वाले को यह सम्पूर्ण राज्य का फल देने वाला है। भगवान शिव यह भी आदेश देते हैं कि श्रावण में


सोमे मत्पूजा नक्तभोजनं
कृष्णे नाचरितं पूर्वं सोमवारव्रतं शुभम्

 

अर्थात सोमवार को मेरी पूजा और नक्तभोजन करना चाहिए। पूर्वकाल में सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने ही इस मंगलकारी सोमवार व्रत को किया था।


लिङ्गपुराण के अनुसार

उपवासात् परं भैक्ष्यं भैक्ष्यात्परमयाचितम्।।
आयाचितात्परं नक्तं तस्मान्नक्तेन वर्तयेत्।।

उपवास की अपेक्षा भिक्षा श्रेष्ठ है, भिक्षा की अपेक्षा बिना माँगे प्राप्त भोजन श्रेष्ठ है और बिना माँगे प्राप्त भोजन की अपेक्षा नक्तव्रत श्रेष्ठ है। अतः नक्तव्रत करना चाहिए।

हविष्यभोजनं स्नांन सत्यमाहारलाघवम्।।
अग्निकार्यमधःशय्यां नक्तभोजी समाचरेत्।।

अर्थात रात में भोजन करने वाले को हविष्यान्न ग्रहण करना चाहिए, स्नान करना चाहिए, कम खाना चाहिए और भूमि पर शयन करना चाहिए।

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